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Wednesday, November 14, 2007

शब्द बन गये है एक सेतु

शब्द
बन गये है
एक सेतु
वह लिखती है
दर्द बहाने के लिये

वह पढ़ता है
दर्द बहाने के लिये
उसके दर्द मे
तकलीफ है

इस लिये
उसके शब्द

है कड़वे पर सच
उसकी पीड़ा
है अनकही
नहीं है शब्द
पास उसके

ना कड़वे ना सच
खड़े है दोनो
पीठ कीये
उस सेतु पर
जिसे उसके
शब्दो ने बनाया है
ओर बाँट रहे है
अनकहा

2 comments:

मीनाक्षी said...

सच में पीड़ा अनकही होती है... पीड़ा में शब्द भी बेजान हो जाते हैं और कुछ बयाँ होना नामुमकिन हो जाता है.

Unknown said...

कुछ शब्द मैने भी सीख लिये हैं
कुछ अपने हैं , कुछ उधार लिये हैं...
Waah !!!