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Wednesday, November 14, 2007

नहीं बाटते अब दर्द शब्द , शब्दो का

शब्द सहलाते थे शब्दो को
शब्द दुलारते शब्दो को
शब्द निहारते थे शब्दो को
समय वो और था जब
शब्द पुकारते थे शब्दो को
और शब्द सुनते थे शब्दो को
अब तो धमाके होते है
जो कान बहरे करते है
शब्दो को निशब्द करते है
अब सनाटा है
सूना है आंगन शब्दो को
बंद होगये है सब वह दरवाजे
जहाँ से आना जाना था
" आयत " ,और "सबद" ,
" श्लोक " , और"टेसटामेन्ट" का
अब शब्द देते है व्यथा शब्दो को
नहीं बाटते अब दर्द शब्द , शब्दो का
ref
आयत कुरान से , सबद गुरू ग्रंथ साहिब से , श्लोक गीता से , टेसटामेन्ट बाइबल से

2 comments:

मीनाक्षी said...

मेरा अपना अनुभव है कि मैने शब्दों को दर्द बाँटते महसूस किया है.... शब्द और उनकी ध्वनि ... अर्थ और उनकी गूँज दिल में गहरे तक उतर जाते हैं और दर्द से उबार देते हैं.

vijay kumar sappatti said...

कमाल का ब्लॉग है , सिर्फ " शब्द " की इतनी गूँज होंगी , मैंने सोचा भी न था.

भई , कितनी परते और है तुम्हारी जानने के लिये ?

गजब , मुझे बहुत कुछ सीखना है .