tag:blogger.com,1999:blog-5620092610237588792024-03-14T02:19:32.309+05:30शब्दरचनाhttp://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-57445103942111071442012-06-18T20:26:00.000+05:302012-06-18T20:26:12.329+05:30शब्दों का बही खाता
कुछ शब्द मैने भी सीख लिये हैं
कुछ अपने हैं , कुछ उधार लिये हैं
रचनाhttp://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-7327478433114593822011-07-12T15:06:00.000+05:302011-07-12T15:06:28.826+05:30शब्द ही ना समझे पर शब्दो कोकिस शब्द ने किस शब्द से क्या कहाकिस शब्द से किस शब्द को चोट लगीकिस शब्द से किस शब्द को दर्द हुआकिस शब्द से किस शब्द को प्यार हुआकिस शब्द से किस शब्द को नफरत हुईशब्दो के जाल मे शब्दो की उम्र हुईपर शब्द ही ना समझे पर शब्दो कोUnknownnoreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-6099528155024244632010-04-13T17:45:00.002+05:302010-06-05T12:24:43.528+05:30शब्दों का नया ठिकानाशब्दों ने साथ देना छोड़ दिया हैं मेराशब्दों ने शायद खोज लिया हैं नया ठिकानाAnonymousnoreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-53443544336712277642009-07-16T15:01:00.002+05:302009-07-16T15:01:57.618+05:30बेगाने शब्दजब से आते जाते शब्दों से दोस्ती हुई हैं शब्द बेगाने नहीं लगते Unknownnoreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-10515409343973969972009-05-07T12:25:00.002+05:302009-05-07T12:29:42.774+05:30निशब्द शब्दों की निःशब्दतानिशब्द शब्दों को शब्दों ना दो निशब्द शब्दों की निःशब्दता मे मौन नहीं मुखरता होती हैं Unknownnoreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-67097187436312016702009-04-21T20:57:00.002+05:302009-04-21T21:00:23.884+05:30शब्दों का जालशब्दों की दस्तक सेशब्दों के दरवाजे खुलते हैं शब्दों के जाल मे यूही नहीं शब्द फँसते हैं Unknownnoreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-59019307492878196942008-03-18T21:57:00.001+05:302008-03-18T22:01:41.702+05:30रिश्ते शब्दों केअनजाने शब्द अजनबी पहचाने शब्द रिश्ते शब्दों से अजनबियों से बनते हैं रिश्ते शब्दों केAnonymousnoreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-59066376750724179392008-03-09T22:29:00.002+05:302008-03-09T22:35:22.126+05:30शब्दों से मिलकर भी अधूरे रहते हैं शब्दशब्दों मे सार्थकता शब्दों ने खोजीशब्दों मे निरर्थकता शब्दों ने पाई शब्दों की सार्थकता को शब्दों ने समझा शब्दों की निरर्थकता को शब्दों ने झेलाशब्दों से मिलकर भी अधूरे रहते हैं शब्द Anonymousnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-71083248574620127532008-01-24T18:18:00.000+05:302008-01-24T18:21:08.269+05:30शब्द ही ना समझे पर शब्दो कोकिस शब्द ने किस शब्द से क्या कहाकिस शब्द से किस शब्द को चोट लगीकिस शब्द से किस शब्द को दर्द हुआकिस शब्द से किस शब्द को प्यार हुआकिस शब्द से किस शब्द को नफरत हुईशब्दो के जाल मे शब्दो की उम्र हुईपर शब्द ही ना समझे पर शब्दो कोUnknownnoreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-55818969755124431912007-12-08T22:09:00.000+05:302007-12-08T22:19:12.230+05:30आजकल तो इंतज़ार मे हैं शब्दमंजिल नहीं रास्ता है शब्दहर मील का पत्थर है शब्दना जानेकिस रास्ते आयेगे शब्दनिशब्द नहीं है शब्दशांत नहीं है शब्द बसआजकल तो इंतज़ार मे हैं शब्दUnknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-47338733214299791912007-12-02T18:03:00.000+05:302007-12-02T18:06:37.552+05:30शब्द मेरेशब्दों को दूर किया है शब्दों से मैने ना देगे दर्द अब शब्द मेरे तुमकोनिशब्द नहींशांत हो गए है शब्द मेरेUnknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-90219955605186993382007-11-14T15:08:00.001+05:302007-11-14T15:08:44.835+05:30स्वर्णिम है वह शब्दजिन्दगी कीकसोटी पर घिस कर भी जो नहीं बदले , आपदा मे भी जिनका कलेवरना उतरे स्वर्णिम हैवह शब्द Unknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-49539058169107304972007-11-14T15:07:00.001+05:302007-11-15T12:20:10.315+05:30नहीं बाटते अब दर्द शब्द , शब्दो काशब्द सहलाते थे शब्दो कोशब्द दुलारते शब्दो कोशब्द निहारते थे शब्दो कोसमय वो और था जबशब्द पुकारते थे शब्दो कोऔर शब्द सुनते थे शब्दो कोअब तो धमाके होते हैजो कान बहरे करते हैशब्दो को निशब्द करते हैअब सनाटा हैसूना है आंगन शब्दो कोबंद होगये है सब वह दरवाजेजहाँ से आना जाना था" आयत " ,और "सबद" ," श्लोक " , और"टेसटामेन्ट" काअब शब्द देते है व्यथा शब्दो कोनहीं बाटते अब दर्द शब्द , शब्दो काrefआयत कुरान से , Unknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-2968039960797473052007-11-14T15:06:00.001+05:302007-11-14T15:06:19.532+05:30निशब्द तुम्हारे शब्दोशब्दो का खेल थाशब्दो से खेला था निशब्द तुम्हारे शब्दो कोमन मे हमने सहेजा थाoption 2 शब्दो का खेल था शब्दो से खेला था निशब्द तुम्हारे शब्दो को शब्दो ने मेरे झेला था option 3 शब्दो का खेल थाशब्दो से खेला थानिशब्द तुम्हारे शब्दो ने शब्दो को मेरे झेला थाUnknownnoreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-48458638094237416002007-11-14T15:05:00.003+05:302007-11-14T15:05:50.853+05:30तुम थे तो इतराते थे शब्दखिलखिलाते थे शब्द मुस्कुराते थे शब्द तुम थे तो इतराते थे शब्दUnknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-59210903000591030082007-11-14T15:05:00.001+05:302007-11-14T15:12:21.050+05:30निशब्द फिर भी शब्द होते हैशब्दो को शब्द खीचते हैशब्दो से शब्द खिचते हैशब्दो मे शब्द होते हैनिशब्द फिर भी शब्द होते हैUnknownnoreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-81683906518752255782007-11-14T15:04:00.003+05:302007-11-14T15:04:52.310+05:30शब्द कहाँ से लाऊँ वो ?शब्द जो गले मे अटकते है शूल बनकर दिल को चुभते है शब्द जो कलम से फिसलते है फाँस बनकर दूसरो कोलगते है शब्द जो नहीं भरमाते है सबको पसंद नहीं आते है शब्द जो मन भाते है सब को पसंदआते है शब्द जो मन भाते है वोही भरमाते है शब्दजो भावना कीस्याही सेलिखे जाते हैशीतलता दे जाते है शब्द कहाँ से लाऊँ वो जो लाये तुमकोमिलाये हमकोUnknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-24538147724742439742007-11-14T15:04:00.001+05:302007-11-14T15:04:21.931+05:30इंतज़ार शब्दो काजिन शब्दो से आये ये शब्द वह शब्द ही ना आये इन शब्दो को देखने आज भी इंतज़ार है इन शब्दो को उन शब्दो काUnknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-562009261023758879.post-90262955240715053832007-11-14T15:00:00.000+05:302007-11-14T15:03:18.957+05:30शब्द बन गये है एक सेतुशब्द बन गये हैएक सेतुवह लिखती हैदर्द बहाने के लिये वह पढ़ता है दर्द बहाने के लिये उसके दर्द मेतकलीफ हैइस लियेउसके शब्द है कड़वे पर सच उसकी पीड़ा है अनकही नहीं है शब्दपास उसके ना कड़वे ना सच खड़े है दोनो पीठ कीयेउस सेतु पर जिसे उसके शब्दो ने बनाया है ओर बाँट रहे है अनकहाUnknownnoreply@blogger.com2